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AAj Bhagat Singh

आज भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव को फांसी की सजा दी गयी। मित्रो भगतसिंह के जन्म के बाद उनकी दादी ने उनका नाम ‘भागो वाला’रखा था। जिसका मतलब होता है ‘अच्छे भाग्य वाला’। बाद में उन्हें ‘भगतसिंह’ कहा जाने लगा। वह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में कार्य करने लगे थे। डी.ए.वी. स्कूल से उन्होंने नौवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारियां होने लगी तो वह लाहौर से भागकर कानपुर आ गए। फिर देश की आजादी के संघर्ष में ऐसे रमें कि पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिया। भगतसिंह ने देश की आजादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया,वह युवकों के लिए हमेशा ही एक बहुत बड़ा आदर्श बना रहेगा।

ऐसा संघर्ष पूर्ण जीवन शिवराम हरी राजगुरु का भी था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी।

सुखदेव भगत सिंह की तरह बचपन से ही आज़ादी का सपना पाले हुए थे। ये दोनों ‘लाहौर नेशनल कॉलेज’ के छात्र थे। दोनों एक ही सन में लायलपुर में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए।

मित्रो इन युवाओं की फांसी ने पुरे देश को झकझोर दिया। ऐसे युवाओ से भारत की पहचान है। हम ऐसे क्रांतिवीरों को नमन करते हैं जिन्होंने युवावस्था को सार्थक किया। हम इनके सपनों के भारत के निर्माण का प्रण लेते हैं।

जय हिन्द

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