“एक बहुत ही सुंदर कविता”

एक काम करना,थोड़ी सी मिट्टी लेना,
उससे दो प्यारे से दोस्त बनाना।

इक तुझ जैसा….एक मुझ जैसा….
फिर उनको तुम तोड़ देना।

फिर उनसे दोबारा दो दोस्त बनाना,
इक तुझ जैसा…एक मुझ जैसा…

ताकि तुझ में कुछ-कुछ मैं रह जाऊँ
और मुझ में कुछ-कुछ तुम रह जाओ।

कुछ तुम जैसा कुछ मुझ जैसा……
Dedicated to all friends..

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