जींदगी जीता हु खुली किताब की
तराह,
ना कोई फरेब ना कोई लालच,
मगर मे हर “बाजी”खेलता हूं
“बीना देखे”कयुकी,
ना मुजे हारने का गम ना जीत ने का जशन….

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