जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो…
वरना, बारिशों में भीगने का शौक तो अब भी है….!!
वो बचपन के दिन लौटा दे ऐ खुदा…..

जहाँ न दोस्त का मतलब पता था
और
न मतलब की दोस्ती….
“उम्र” और “ज़िन्दगी” में बस फर्क “इतना”

जो “दोस्तों” के बिन बीति वो “उम्र”    और जो दोस्तों के “साथ” “गुज़री” वो “ज़िन्दगी”

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