⏰⏰ -हास्य कविता- ⏰⏰

मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
—-ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो,
—-मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये,

तुम फौजी अफसर की बेटी,
—-मैं तो किसान का बेटा हूँ,
तुम रबड़ी खीर मलाई हो,
—-मैं तो सत्तू सपरेटा हूँ,

तुम ए.सी. घर में रहती हो,
—-मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ,
तुम नई मारूति लगती हो
—-मैं स्कूटर लेम्ब्रेटा हूँ,

इस तरह अगर हम छुप छुप,
—–कर आपस में प्यार बढाएंगे,
तो एक रोज़ तेरे डैडी
—-अमरीश पुरी बन जाएंगे,

सब हड्डी पसली तोड़,
—-मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
—-ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

तुम अरब देश की घोड़ी हो,
—-मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये,
तुम दीवाली का बोनस हो,
—-मैं भूखों की हड़ताल प्रिये,

तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो,
—-मैं एल्युमिनियम का थाल प्रिये,
तुम चिकन, सूप, बिरयानी हो,
—-मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये,

तुम हिरन चौकड़ी भरती हो,
—-मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये,
तुम चन्दन वन की लकड़ी हो,
—-मैं हूँ बबूल की छाल प्रिये,

मैं पके आम सा लटका हूँ,
—-मत मारो मुझे गुलेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
—-ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

तुम निर्मल पावन गंगा हो,
—-मैं जलता हुआ पतंगा हूँ,
तुम राजघाट का शान्ति मार्च,
—-मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूँ,

तुम हो पूनम का ताजमहल,
—-मैं काली गुफा अजन्ता की,
तुम हो वरदान विधाता का,
—-मैं गलती हूँ भगवन्ता की,

तुम जेट विमान की शोभा हो,
—-मैं बस की ठेलमपेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
—-ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

तुम नई विदेशी मिक्सी हो,
—-मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ,
तुम ए.के. सैंतालिस जैसी,
—-मैं तो इक देसी कट्टा हूँ,

तुम चतुर राबड़ी देवी सी,
—-मैं भोला-भाला लालू हूँ,
तुम मुक्त शेरनी जंगल की,
—-मैं चिड़ियाघर का भालू हूँ,

तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी,
—-मैं अडवाणी सा खाली हूँ,
तुम हँसी माधुरी दीक्षित की,
—-मैं पुलिसमैन की गाली हूँ,

गर जेल मुझे हो जाए तो,
—-दिलवा देना तुम बेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
—-ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

मैं ढाबे के ढांचे जैसा,
—-तुम पाँच सितारा होटल हो ,
तुम चित्रहार का मधुर गीत,
—-मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूँ,
तुम विश्व सुंदरी सी महान,
—-मैं ठेलिया छाप कबाड़ी हूँ,

तुम सोनी का मोबाइल हो,
—-मैं टेलीफोन वाला चोंगा,
तुम मछली मानसरोवर की,
—-मैं सागर तट का हूँ घोंघा,

दस मंजिल से गिर जाऊँगा,
—-मत आगे मुझे ढकेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
—-ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

तुम जयाप्रदा की साड़ी हो,
—-मैं शेखर वाली दाढी हूँ,
तुम सुषमा जैसी विदुषी हो,
—-मैं लल्लू लाल अनाड़ी हूँ,

तुम जया जेटली सी कोमल,
—-मैं सिंह मुलायम सा कठोर,
तुम हेमा मालिनी सी सुन्दर,
—-मैं बंगारू की तरह बोर,

तुम सत्ता की महारानी हो,
—-मैं विपक्ष की लाचारी हूँ,
तुम हो ममता जयललिता सी,
—-मैं क्वाँरा अटल बिहारी हूँ,

तुम संसद की सुन्दरता हो,
—-मैं हूँ तिहाड़ की जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
—-ये प्यार नहीं है खेल प्रिये ।

वाकई
बहुत ही मुश्किल है,
अपना मेल प्रिये..!

!😄😳!हँसते रहें,
हँसाते रहें..!😳😄!

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