बुढ़ापे की दहलीज़ पर शायर अर्ज़ करता है-
“कोई चड्ढी में ज़रा झाँक के तो देखे…
किस तरह सोया है मज़लूम, दो तकिओं पर सर रख के”…!
😂😝
बुढ़ापे की दहलीज़ पर शायर अर्ज़ करता है-
“कोई चड्ढी में ज़रा झाँक के तो देखे…
किस तरह सोया है मज़लूम, दो तकिओं पर सर रख के”…!
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