जीवन शतरंज के खेल की तरह है और यह खेल आप ईश्वर के साथ खेल रहे है..!

आपकी हर चाल के बाद,
अगली चाल वो चलता है..!!

आपकी चाल आपकी “पसंद” कहलाती है..,
और..,
उसकी चाल “परिणाम” कहलाती है..!!!

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