वेलेंटाइन डे आते ही छोटू की आँखों में एकख़ुशी की लहर दौड़जाती थी ! मंदिर के साइड से लगे दुकान पेकाम करने वाला छोटूहर बार की तरह इस बार भी खूब सारेगुलाब की पंखुड़िया खरीदलाया था ! छोटू को येनहीं पता था की वेलेंटाइन डेहोता क्या है ? पर ये जरूर पता था उसेकि आज दस का बिकनेवाला गुलाब पच्चास में बेचेगा ! वह सुबह सेदौड़ भाग मेंलगा था इस उम्मीद में कि आजअच्छी कमाई करलेगा वो..दो तीन घंटे में उसके सारे गुलाब बिकगए ! उसनेजल्दी से पैसो का गुना भाग करके पाँचसौ अलग निकललिया !अब फुर्ती से भागकर सेठ के पासपंहुचा उसकी उधारी चुकाई !और दनदनाता हुआ बाजार पहुंच गया हीरामनकेदुकान पे..“अरे छोटू आज बड़ी जल्दी आ गया रे तूतो ..?हा चच्चा आज चौदह फरवरी है नअरे हाँ में तो भूल ही गया था ..“बता क्या चाहिए ?वो हरी वाली फ्रॉक तो दिखाना चच्चा ,छोटू नेचहकते हुए कहा“महंगी है नहीं ले पायेगाकित्ते कि है ?“पुरे चार सौ अस्सी कि बोल पैक कर दू क्या.?छोटू ने कुछ देर सोचते हुए कहा ..ठीक है चच्चा कर दो पैक..पाँच सौ में चार सौ अस्सी गया बचा बीस..अच्छा बीस कि डेरी मिल्कभी पैक कर दियो चच्चा..“ये ले कहते हुए चच्चा ने उसे पैकेट थम दिया..छोटू फुदकते हुए घर पंहुचा माँ सेपूछा “छोटी कहा है..?यही कही खेलरही होगी..?छोटू ने उसे जल्दी से ढूढ़ा और जादूकि झप्पी देते हुए बोला“यिप्पी वेलेंटाइन डे छोटी ”सोच सोच का फरक है प्यार तो प्यार ही होता ह

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