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इस संसार में मनुष्य जिस तरह खाली आता है उसी तरह खाली हाथ विदा भी होता है। मनुष्य जब विदा होता है या उसकी मृत्यु होती है तो उसके द्वारा संचित हर वस्तु यहीं रह जाती है। मनुष्य उन्हें छोड़कर चला जाता है।
मनुष्य जीवन भर किसी भी भौतिक वस्तु, जो उसे थोड़ी देर के लिए शारीरिक एवं मानसिक सुख दे सकें।
उसे किसी भी प्रकार से एकत्रित करने में अपना समय व्यतीत करता है, जबकि धन वैभव उसे आत्मिक सुख-शांति नहीं दे सकते हैं। यह सब जानते हुए मनुष्य जीवन को सुधारने की कोशिश नहीं करता है।