हम शहाजी राजे की
औलाद है…..
हम पत्थर नही
फौलाद है…..
हम जिजाऊ के
चिते है…..
अपने दम पर
जिते है…..
शिवबा के हम वही
शेर है…..
जिसके आगे सारी दुनिया
ढेर है…..
हम संभा कि
जान है…..
हा मरहठ्ठे हि ईस देश कि
पहचान है…..
ये आवाज नही शेर कि
दहाड है…..
हम खडे हो जाये तो
पहाड है…..
हम ईतिहास के वो सुनहरे
पन्ने है…..
जो भगवान ने
चुने है…..
ये शेर जब रास्ते से
चलते है…..
तो गिधड खुद अपना रास्ता
बदलते है…..
तलवार से दुनिया बदलने का
जज्बा है…..
आकाश को देखो गद्दारो वहा भि हमारा
कब्जा है…..
भगवे से काफर कहा
बचता है…..
ये रंग बस मरहठ्ठोपे
जजता है…..
दुनिया आज भि उन्हे याद
करती है…..
जिस संभा से मौत
डरती है…..
हम
हम है
ना कलंक
ना बट्टा
दिल्ली तख्त पे बैठेगा
तो
वो
सिर्फ
मरहठ्ठा
जय जिजाउ….!!
जय शिवराय….!!
जय शभुंराजे….!!