चारों ओर बस

प्रेम ही प्रेम हैं।

प्यार फैलाव हैं

तो स्वार्थ सिकुड़न हैं।

अत: दुनिया का बस

एक ही नियम होना चाहिए

प्रेम… प्रेम… प्रेम…!

जो प्रेम करता हैं..

प्रेम से रहता हैं

वही सही मायने में जीता हैं..।

जो स्वार्थ में जीता हैं

वो मर रहा हैं..।

इसलिए प्यार पाने

केलिए प्यार करो

क्योंकि यही जिंदगी का

नियम हैं।

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