Very lovely lines by Shri Harivansh Rai Bachchan

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बहुत साल बाद दो दोस्त रास्ते में मिले .

धनवान दोस्त ने उसकी आलिशान गाड़ी पार्क की और

गरीब मित्र से बोला चल इस गार्डन में बेठकर बात करते है .

चलते चलते अमीर दोस्त ने गरीब दोस्त से कहा

तेरे में और मेरे में बहुत फर्क है .

हम दोनों साथ में पढ़े साथ में बड़े हुए

मै कहा पहुच गया और तू कहा रह गया ?

चलते चलते गरीब दोस्त अचानक रुक गया .

अमीर दोस्त ने पूछा क्या हुआ ?

गरीब दोस्त ने कहा तुझे कुछ आवाज सुनाई दी?

अमीर दोस्त पीछे मुड़ा और पांच का सिक्का उठाकर बोला

ये तो मेरी जेब से गिरा पांच के सिक्के की आवाज़ थी।

गरीब दोस्त एक कांटे के छोटे से पोधे की तरफ गया

जिसमे एक तितली पंख फडफडा रही थी .

गरीब दोस्त ने उस तितली को धीरे से बाहर निकला और

आकाश में आज़ाद कर दिया .

अमीर दोस्त ने आतुरता से पुछा

तुझे तितली की आवाज़ केसे सुनाई दी?

गरीब दोस्त ने नम्रता से कहा

” तेरे में और मुझ में यही फर्क है

तुझे “धन” की सुनाई दी और मुझे “मन” की आवाज़ सुनाई दी .

“यही सच है ”

.इतनी ऊँचाई न देना प्रभु कि,

धरती पराई लगने लगे l

इतनी खुशियाँ भी न देना कि,

दुःख पर किसी के हंसी आने लगे ।

नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका,

निर्बल पर प्रयोग करूँ l

नहीं चाहिए ऐसा भाव कि,

किसी को देख जल-जल मरूँ

ऐसा ज्ञान मुझे न देना,

अभिमान जिसका होने लगे I

ऐसी चतुराई भी न देना जो,

लोगों को छलने लगे ।

: खवाहिश  नही  मुझे 
मशहूर  होने  की।
आप  मुझे  पहचानते  हो 
बस  इतना  ही  काफी  है।

अच्छे  ने  अच्छा  और 
बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।
क्यों  की  जिसकी  जितनी 
जरुरत  थी  उसने उतना  ही
पहचाना  मुझे।

ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा 
भी   कितना  अजीब  है,
शामें  कटती  नहीं, और  साल 
गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं….!

एक  अजीब  सी 
दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,
जीत  जाओ  तो  कई
अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,
और  हार  जाओ  तो  अपने
ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।…..

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