💐🌷🍀 सुप्रभात🍀🌷💐

सीखने में दो साल लग जाते हैं
लेकिन… क्या बोलना है, यह सीखने में पूरी ज़िन्दगी निकल जाती है..

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एक जैसी ही दिखती थी माचिस की वो तीलियाँ.
“कुछ ने दिये जलाये”…”और कुछ ने घर.”.

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यादें भी कितनी अजीब होती हैं न जिन पल मे हम
रोये थे उन्हे याद करके हमे हँसी आती और जिन
पलों मे हम हँसे थे उन्हे याद करके हमे रोना आता है।…

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हुनर तो सब में होता है…
फर्क बस इतना होता है…
किसी का छिप जाता है…
तो किसी का छप जाता है…!!

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“अकड़”
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इस शब्द को ध्यान से देखो तो
इसमें कोई ‘मात्रा’ नहीं है…..
लेकिन
ये अलग अलग ‘मात्रा’ में हर इंसान में मौजूद है!

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