​Nice lines by Javed Akhtar Saab.*

_ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं_

_वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ_ 

_लेकिन वक़्त का बहाना बना कर_

_अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता !_

_जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की_

_बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,_ 

_बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है_

_पर जहाँ से अपने ना दिखे_

_वो ऊंचाई किस काम की!!!_

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