​*-हरिवंशराय बच्चन की*

_*एक सुंदर कविता …*_
*खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की।*

*आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है।*

*अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।*

*क्यों  की  जीसकी  जीतनी  जरुरत  थी  उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे।*

 *ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है*

*शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं….!!*

*एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,*

*जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,*

*और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।*

*बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर…*

*क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है..*

*मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,*

*चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।।*

*ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है*

*जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने*

*न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.*

*एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..*

*वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!*

*सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..*

*पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!*

*सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब….*

*बचपन वाला ‘इतवार’ अब नहीं आता |*

*जीवन की भाग-दौड़ में क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?*

*हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..*

*एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम*
*_और_*
*आज कई बार*

*बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..*

*कितने दूर निकल गए,*

*रिश्तो को निभाते निभाते..*

*खुद को खो दिया हमने,*

*अपनों को पाते पाते..*

*लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,*

*और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..*

*”खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,*

*लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ..*

*मालूम है कोई मोल नहीं मेरा*

*_फिर भी,_*

*कुछ अनमोल लोगो से रिश्ता रखता हूँ…!*🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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