*एक राजमहल में कामवाली और उसका बेटा काम करते थे!*

*एक दिन राजमहल में कामवाली के बेटे को हीरा मिलता है।*

*वो माँ को बताता है….*

*कामवाली होशियारी से वो हीरा बाहर फेककर कहती है ये कांच है हीरा नहीं…..*

*कामवाली घर जाते वक्त चुपके से वो हीरा उठाके ले जाती है।*

*वह सुनार के पास जाती है…*
*सुनार समझ जाता है इसको कही मिला होगा,*
*ये असली या नकली पता नही इसलिए पुछने आ गई.*
*सुनार भी होशियारीसें वो हीरा बाहर फेंक कर कहता है!! ये कांच है हीरा नहीं।*
*कामवाली लौट जाती है। सुनार वो हीरा चुपके सेे उठाकर जौहरी के पास ले जाता है,*

*जौहरी हीरा पहचान लेता है।*
*अनमोल हीरा देखकर उसकी नियत बदल जाती है।*
*वो भी हीरा बाहर फेंक कर* *कहता है ये कांच है हीरा नहीं।*
*जैसे ही जौहरी हीरा बाहर फेंकता है…*

*उसके टुकडे टुकडे हो जाते है…*

*यह सब एक राहगीर निहार रहा था…*
*वह हीरे के पास जाकर पूछता है…*
*कामवाली और सुनार ने दो बार तुम्हे फेंका…*
*तब तो तूम नही टूटे…*
*फिर अब कैसे टूटे?*

*हीरा बोला….*
*कामवाली और सुनार ने दो बार मुझे फेंका*

*क्योंकि…*
*वो मेरी असलियत से अनजान थे।*

*लेकिन….*
*जौहरी तो मेरी असलियत जानता था…*

*तब भी उसने मुझे बाहर फेंक दिया…*
*यह दुःख मै सहन न कर सका…*
*इसलिए मै टूट गया …..*

*ऐसा ही…*
*हम मनुष्यों के साथ भी होता है !!!*

*जो लोग आपको जानते है,*
*उसके बावजुत भी आपका दिल दुःखाते है*
*तब यह बात आप सहन नही कर पाते….!😢*

*इसलिए….*
*कभी भी अपने स्वार्थ के लिए करीबियों का दिल ना तोड़ें…!!*

*हमारे आसपास भी… बहुत से लोग… हीरे जैसे होते है !*
*उनकी दिल और भावनाओं को .. कभी भी मत दुखाएं…*
*और ना ही… उनके अच्छे गुणों के टुकड़े करिये…!!*

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मेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है,
जो भी कमाया यही रह जाना है !
कर ले कुछ अच्छे कर्म,
साथ यही तेरे जाना है !
रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं,
लेकिन मुस्कुराने से…
पराये भी अपने हो जाते हैं !
मुझे वो रिश्ते पसंद है,
जिनमें ” मैं ” नहीं ” हम ” हो !!
इंसानियत दिल में होती हैसियत में नही,
परमात्मा कर्म देखता है, वसीयत नही.

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