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*कठोर किंतु सत्य!*
👉1- माचिस किसी दूसरी चीज
को जलाने से पहले खुद
को जलाती हैं..!
*गुस्सा* भी एक माचिस की तरह है..!
यह दुसरो को बरबाद करने से पहले
खुद को बरबाद करता है…

👉2- आज का कठोर व कङवा सत्य !!
चार *रिश्तेदार* एक दिशा में
तब ही चलते हैं ,
जब पांचवा कंधे पर हो…

👉3- कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए
मगर,
नल को देखकर कीचड़ में नही जाना चाहिए,
इसी प्रकार…
जिन्दगी में *बुरा समय* आ जाये
तो…
पैसों का उपयोग करना चाहिए
मगर…
पैसों को देखकर बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए…

👉4- रिश्तों की बगिया में एक *रिश्ता* नीम के पेड़ जैसा भी रखना,
जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर
तकलीफ में मरहम भी बनता है…

👉5- *परिवर्तन* से डरना और *संघर्ष* से कतराना,
मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है…

👉6- बहुत ही सुन्दर वर्णन है-
*मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए….*अभिमान मर जाएगा

*आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए…..*पत्थर दिल पिघल जाएगा

*दांतों को आराम देकर देखिए………*स्वास्थ्य सुधर जाएगा

*जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए…..*क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा

*इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए……*खुशियों का संसार नज़र आएगा…

👉7- पूरी *जिंदगी* हम इसी बात में गुजार देते हैं कि ..”चार लोग क्या कहेंगे”,
और अंत में चार लोग बस hu यही कहते हैं कि *”राम का नाम सत्य है”…*
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