एक शादी मै एक आदमी ऐसे अकड़ के चल रहा था।
मुझे लगा दूल्हे का जीजा या फूफा होगा।
बाद मे पता चला कि ये कोई रिश्तेदार नही है।
उसके पास तो सिर्फ बारातीयों की दारु व्यवस्था की जिम्मेदारी थी।
अकड़ना तो बनता था उसका।
एक शादी मै एक आदमी ऐसे अकड़ के चल रहा था।
मुझे लगा दूल्हे का जीजा या फूफा होगा।
बाद मे पता चला कि ये कोई रिश्तेदार नही है।
उसके पास तो सिर्फ बारातीयों की दारु व्यवस्था की जिम्मेदारी थी।
अकड़ना तो बनता था उसका।