*दुसरो की परेशानीयों का आनंद ना ले*
कही भगवान वह *परेशानीयां* हमे उपहार स्वरूप ना दे दे.

क्योंकि भगवान हमे वही देता हैं, जिसमे हमे *आनंद* मिलता हैं..

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