आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की,.
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लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं,
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कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को,
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याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं..
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की,.
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लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं,
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कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को,
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याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं..