‪*”मुझे तैरने दे या*
*फिर बहना सिखा दे,*
*अपनी रजा में*
*अब तू रहना सिखा दे,*
*मुझे शिकवा ना हो*
*कभी भी किसी से,*
*ऐ कुदरत…*
*मुझे सुख और*
*दुख के पार*
*जीना सिखा दे…*
*”मेरा मजहब तो*
*ये दो हथेलियाँ बताती है…*
*जुड़े* *तो* *”पूजा”*
*खुले तो “दुआ”*
*कहलाती हैं…*💐💐
🌹 *सुप्रभात*

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