‪फिर तेरा चर्चा हुआ, आँखें हमारी नम हुई,धड़कने फिर बढ़ गई, साँस फिर बेदम हुई,चांदनी की रात थी, तारों का पहरा भी था,इसलिए ही शायद गम की आतिशबाजी कम हुई|

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