‪रात की गहराई आँखों में उतर आई,कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई|

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