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_”अनुभव कहता है_
_खामोशियाँ ही बेहतर हैं,_
_शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं…”_

_जिंदगी गुजर गयी…._
_सबको खुश करने में .._

_जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,_
_जो अपने थे वो कभी खुश नहीं हुए…_

_कितना भी समेट लो.._
_हाथों से फिसलता ज़रूर है.._

_ये वक्त है साहब.._
_बदलता ज़रूर है.._
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।।शुभ प्रभात।।

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