*शीशा और पत्थर संग संग रहे तो बात नही घबराने की…..!!*
*शर्त इतनी है कि बस दोनों ज़िद ना करे टकराने की…..!!*
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है।*
*”दिमाग”से बनाये हुए “रिश्ते”*
*बाजार तक चलते है,,,!* *और*
*”दिल” से बनाये “रिश्ते”*
*आखरी सांस तक चलते है,!!*